श्री राम मंदिर निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा समारोह से उत्साहित सूरजपुर नगरवासी- बाबूलाल अग्रवाल

श्री राम मंदिर निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा समारोह से उत्साहित सूरजपुर नगरवासी- बाबूलाल अग्रवाल 

सूरजपुर - श्री राम मंदिर निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा समारोह से उत्साहित सूरजपुर नगरवासी ही नहीं अपितु सभी ग्रामों और मोहल्लो में विविध धार्मिक अनुष्ठान और रामायण पाठ इत्यादि आयोजित कर रहे है। जगह-जगह भगवा ध्वज और जगमग लाईटों से धार्मिक स्थलों व चौक चौराहो को सजाया गया है।
22 जनवरी 2024 को ऐतिहासिक और यादगार बनाने में राम भक्तो के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहे 1989 के शिलापूजन और कारसेवा में सक्रिय रहे भाजपा जिलाध्यक्ष बाबूलाल अग्रवाल ने श्री राम मंदिर व जन्मभूमि के लिए हुए आंदोलनो में जिले वासियों की सहभागिता पर आधारित संस्मरणों से अवगत कराया। उन्होंने उस दौरान की फोटो और महत्वपूर्ण दस्तावेजो को साझा करते हुए बताया कि श्रीराम जन्म भूमि आंदोलन हेतु सूरजपुर में निकाली गई संकल्प यात्रा में प्रतिष्ठित इंका नेता स्व. बृजनारायण चौबे, बैकुण्ठनाथ तिवारी, आर.पी. वाजपेयी भाजपा नेता स्व. मनोहर राव कोनेर, स्वयं बाबूलाल अग्रवाल के अलावा स्व. राजकुमार अग्रवाल, स्व. रामकुमार जैन, शोभित राम, भीमसेन अग्रवाल, कृष्णा सोनी समेत बड़ी संख्या में श्रीराम भक्तों ने दलगत भावना से उपर उठकर सक्रिय भूमिका निभाई।
उन्हानें बताया कि संपूर्ण आंदोलन के प्रत्यक्षदर्शी रहे उस दौरान के युवा भाजपा नेता एवं भाजपा जिलाध्यक्ष ने बताया कि -
 वर्ष 1989 में विश्व हिन्दू परिषद् द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर शिला पूजन का एक बड़ा अभियान चलाया गया था एवं देश के कोने-कोने से मंदिर निर्माण हेतु शिलाएं एकत्रित कर अयोध्या भेजी गई. उस समय संयुक्त सरगुजा जिले में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तत्कालीन विभाग संघ चालक स्व. यदुवंश नारायण सिंह जी एवं सरगुजा के पूर्व सांसद स्व. श्री लरंग साय जी के नेतृत्व में शिलापूजन अभियान में हम सभी रामभक्तों को सहभागी बनने का अवसर प्राप्त हुआ. 
श्री रामजन्मभूमि आन्दोलन हेतु समर्थन जुटाने के लिए भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रद्धेय श्री लालकृष्ण आडवाणी जी ने 25 सितंबर, 1990 को सोमनाथ से अयोध्या के लिए श्री राम रथयात्रा की शुरुवात की जो अंबिकापुर से होकर गुजरी, जिसका हम सभी को स्वागत करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था.
अक्तूबर 1990 में श्री राम कारसेवा समिति, सरगुजा के आह्वान पर सूरजपुर से स्व. श्री राजकुमार अग्रवाल जी एवं स्व. श्री रामकुमार जैन जी की अगुवाई में मेरे साथ श्री भीमसेन अग्रवाल, श्री कृष्णा सोनी, श्री शोभित राम, श्री रविन्द्र सोनी को श्रीराम जन्मभूमि आन्दोलन में भाग लेने का पुण्य अवसर प्राप्त हुआ था. आज भी श्रीराम जन्मभूमि का नाम सुनते ही मेरे स्मृति पटल पर आन्दोलन का वो हर एक क्षण जीवंत हो उठता है. सूरजपुर के हम सभी कारसेवकों को नगर के पंचदेव मंदिर से पूजा-अर्चना कर नगरवासियों ने हमें अयोध्या हेतु विदा किया था, वह अत्यंत ही भावुक क्षण था. नगरवासियों का मन भी कोटि-कोटि रामभक्तों के समान ही पीड़ा में था एवं सभी के ह्रदय में यहीं भाव था की अपने आराध्य प्रभु श्री राम को उनकी पवित्र जन्मभूमि अयोध्या धाम में भव्य श्रीराम मंदिर निर्माण कर सिंहासन पर विराजित कर सकें.
30 अक्तूबर 1990 को पराक्रमी कार सेवकों द्वारा विवादित ढाँचे पर भगवा ध्वज फहरा दिया गया, जिसके बादभी हम सभी लोगों को प्रशासन द्वारा जबरन जेल में रोके रखा गया. 
2 नवम्बर को उत्तरप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह के आदेश पर निहत्थे कारसेवकों पर अंधाधुंध गोलियां चलाई गई जिसमे माँ भारती के वीर सपूत कोठारी बंधुओं सहित अनेकों कारसेवक शहीद हो गए थे. घटना के उपरान्त विश्व हिन्दू परिषद् के तत्कालीन अध्यक्ष श्रद्धेय स्व. अशोक सिंघल जी ने कहा की जन्मभूमि आन्दोलन में योगदान देने वाले सभी कारसेवकों की सेवा पूर्ण हुई एवं सभी कारसेवकों से अपने गृहस्थान लौटने का आदेश दिया. तत्पश्चात हमने जेल से रिहाई हेतु सरकार से आग्रह किया परन्तु बार-बार आग्रह करने पर भी जब हमारी रिहाई नहीं हुई, तब हमारी टोली जेल की दीवार फांद कर वहां से मुक्त हुई.अंततः 6 दिसंबर, 1992 को श्री रामजन्मभूमि पर बनें विवादास्पद ढाँचे को गिराकर कारसेवा वास्तविक रूप से पूर्ण हुई।
उत्तरप्रदेश की तत्कालीन मुलायम सिंह की सरकार द्वारा उस दौरान रामभक्तों की आवाज को दबाने एवं कारसेवकों को रोकने हेतु उनके साथ अपराधियों जैसा व्यवहार किया जा रहा था. सूरजपुर रेलवे स्टेशन से ट्रेन की यात्रा कर हम सभी को अयोध्या जाने हेतु प्रयागराज पहुंचना था, पर हमारी रेलगाड़ी प्रयागराज स्टेशन पहुँच पाती उससे पूर्व ही उत्तरप्रदेश पुलिस ने ट्रेन में कारसेवकों की तलाश में छानबीन शुरू कर दी एवं ट्रेन में बहुत से कारसेवकों को गिरफ्तार कर लिया. इसे देखते हुए हमने ट्रेन की चेन खींचकर स्टेशन से पहले ही ट्रेन को रुकवाया, पर डब्बे के बाहर निकलते ही हमें 7 फीट गहराई में कूदना था. यह हम सभी युवाओं के लिए कोई बड़ी समस्या नहीं थी,पर हमारे साथ मौजूद दो वरिष्ठजनों को लेकर हम चिंतित हो गए. परन्तु मन में उठा रामभक्ति का ज्वार एवं दृढ़ इच्छाशक्ति के बलपर स्व. श्री राजकुमार अग्रवाल जी एवं स्व. श्री रामकुमार जैन जी ने किसी ऊर्जावान नवयुवक की भांति ही ट्रेन से छलांग लगा दी. तत्पश्चात हम सभी पगडंडियों एवं दुर्गम रास्तों के सहारे लगभग 12 किलोमीटर की पैदल यात्रातय कर प्रयागराज के रस्तोगी धर्मशाला पहुंचे. कारसेवकों के सैलाब को देख भयभीत प्रदेश सरकार ने परिवहन के सभी साधनों पर रोक लगा दी. अगले दिन सुबह प्रयागराज के विभिन्न धर्मशालाओं से आकर कारसेवक एक मैदान में एकत्रित हुए एवं निर्देश मिलते ही हम सभी कारसेवकों ने वहां से अयोध्या हेतु पैदल कुच कर दिया. रामभक्त कारसेवकों की इतनी बड़ी शक्ति देखकर समूचा नगर आनंदित हो उठा. देखते ही देखते आम लोगों के मन से प्रदेश सरकार का भय खत्म हो गया एवं रास्ते को तोरणद्वार से सजा दिया गया. जगह जगह कारसेवकों का भव्य स्वागत किया गया, सुगन्धित चन्दन से तिलक कर फूलों की वर्षा की गई. आम जनता द्वारा हमारे सत्कार को देखकर हम सभी दोगुने उत्साह व उमंग से भर गए एवं कारसेवा हेतु आगे निकल चले. नगर के बाहर गंगा नदी पर बनें फाफामऊ पुल पर हम सभी निहत्थे कारसेवकों पर पुलिस द्वारा निर्ममतापूर्वक लाठीचार्ज कर दिया गया एवं वहां पहले से ही हजारों की तादाद में मौजूद बसों में कारसेवकों को भरकर विभिन्न जेलों में भेज दिया गया.
हमारी टोली को प्रतापगढ़ के पॉलिटेक्निक कॉलेज में बनें अस्थाई जेल में रखा गया, पर कारसेवकों की अपार भीड़ के कारण हमें बस द्वारा वहां से केन्द्रीय जेल में स्थानांतरित कर दिया गया. आन्दोलन के कारण रामभक्त कारसेवकों को बिना अपराध ही उत्तर प्रदेश की विभिन्न जेलों में भर दिया गया था.  जेल के बाहर कई घंटे हमें खड़े रखा गया. जेल में जगह न होने के कारण हमें कानपुर और उसके बादक्रिस्चियन इंटर कॉलेज फर्रुखाबाद में बने अस्थाई जेल में रखा गया. लगातार कई दिनों तक मैं और मेरे साथी कारसेवक वहीं रहें. रामभक्ति का जुनून इतना था की कॉलेज के ऊपरी दीवार पर कॉलेज का नाम बदलकर कारसेवकों ने ‘श्रीराम कॉलेज’ लिख दिया. वहां हमारे साथ देश के कोने-कोने से आये हजारों कारसेवक बंद थे और सरकार ने भी आवश्यक सुविधाएं से मुख मोड़ लिया था. ऐसी स्थिति में हमारे बीच के कुछ प्रशिक्षित स्वयंसेवकों ने भोजन आदि. व्यवस्था अपने हाथ में ले ली और आसपास के रामभक्तों ने भी इसमें भरपूर सहायता की.
लम्बी प्रतीक्षा एवं वर्षों के संघर्षों के परिणामस्वरूप माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने 9 नवंबर, 2019 को श्री रामजन्मभूमि के पक्ष में फैसला सुनाकर सत्य की विजय सुनिश्चित की. तदोपरांत माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी के अथक प्रयास एवं कोटि-कोटि रामभक्तों व सनातनियों के सहयोग से श्री रामजन्मभूमि पर भव्य एवं दिव्य मंदिर में आगामी 22 जनवरी को प्रभु श्री रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा होने जा रही है. जिस दिन को देखने के लिए सैकड़ों वर्षों से हमारे पूर्वज प्रतीक्षा करते रहें, उस ऐतिहासिक क्षण के हम सभी साक्षी होंगे. यह हम सभी के लिए अत्यंत सौभाग्य एवं आनंद का विषय है.
श्री राम जन्मभूमि एवं मंदिर निर्माण को लेकर विश्व हिन्दू परिषद एवं राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के नेतृत्व में आयोजित विभिन्न आंदोलनो एवं कार्यक्रमों में नगरवासियों की सहभागिता बढ़-चढ़कर रही है। आज जब अयोध्या धाम में दिव्य श्रीराम मंदिर के प्रथम चरण का कार्य पूर्ण हो गया और रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा शुरू हो गई है तब सूरजपुर जिले के सहभागी कार सेवकों का उत्साहित होना स्वभाविक है।

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